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Persistent Systems Ltd क्या है? कंपनी की के बारे में यहाँ देखें-

Persistent Systems Limited भारत की बहुराष्ट्रीय आईटी सेवा कंपनी है, जो अपने ग्राहकों के व्यवसाय को संचालित करने के लिए डिजिटल समाधान और परामर्श सेवाएँ प्रदान करता है, यह कंपनी डिजिटल इंजीनियरिंग और एंटरप्राइज़ आधुनिकीकरण प्रदान करने में माहिर है,

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्लाउड कम्प्यूटिंग, एनालिटिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे अत्याधुनिक तकनीकी में अपनी विशेषज्ञता के आधार पर एप्लिकेशन विकास और प्रबंधन, बुद्धिमान स्वचालन, क्लाउड और बुनियादी ढांचे, डेटा विश्लेषण, डिजिटल रणनीति और डिज़ाइन, सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट इंजीनियरिंग, उद्दम आईटी सुरक्षा और उद्दम एकीकरण जैसे कई और सेवाएँ प्रदान करता है, 

लंदन स्थित दुनिया की अग्रणी स्वतंत्र ब्रांड मूल्यांकन और रणनीति परामर्श कंपनी Brand Finance के अनुसार, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स 2020 से 268% की वृद्धि के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाला भारतीय आईटी सेवा कंपनी है, 2021 में फोर्ब्स पत्रिका ने पर्सिस्टेंट सिस्टम्स को एशिया की एक अरब से कम की सबसे अच्छे कंपनी की सूची Forbes Asia Best Under a Billion 2021 में नामित किया था,

वर्तमान में पर्सिस्टेंट सिस्टम्स एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर और मध्य अमेरिका और यूरोप महाद्वीप से कुल 21 देशों से अपने व्यवसाय का परिचालन कर रहे है, और यह कंपनी अमेरिकी बाजार से सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त करता है,

Persistent Systems संक्षिप्त में-

Persistent Systems का मुख्यालय कहाँ है?

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स का वर्तमान मुख्यालय महाराष्ट्र के पुणे शहर के भागीरथ, गोखलेनगर में स्थित है, यह कंपनी 19 अक्तूबर 2001 से लगभग 22 सालों से यहाँ से अपने मुख्य व्यावसायिक परिचालन का देखभाल कर रहा है, प्रारम्भिक समय में कंपनी का सर्वप्रथम पंजीकृत कार्यालय पुणे शहर के एरंडवाने इलाका में था,

मुख्यालय का पता-

Persistent Systems की स्थापना कब हुई थी?

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स की स्थापना 30 मई 1990 को एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में हुई थी, लगभग 16 साल तक प्राइवेट लिमिटेड के रूप में काम करने के बाद, 17 सितंबर 2007 को आयोजित EGM में पारित एक विशेष प्रस्ताव द्वारा पर्सिस्टेंट सिस्टम्स को एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में बदल दिया गया, उसके एक दिन बाद रूपान्तरण परिणामस्वरूप के बाद 28 सितंबर को RoC से कंपनी को निगमन का एक नया प्रमाण पत्र जारी किया गया था,

Persistent Systems की स्थापना किसने की थी?

Persistent Systems की स्थापना आनंद सुरेश देशपांडे ने की थी, कंपनी की स्थापना के पहले आनंद देशपांडे जब डॉक्टरेट और स्नातकोर डिग्री की पढ़ाई के लिए अमेरिका गए थे, पढ़ाई पूरी करने के बाद अध्ययन वीजा के समाप्ती से पहले 1989 के दौरान वह HP प्रोयोगशालाओं में एक तकनीकी स्टाफ के रूप में काम किया, काम करने के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि वह भी भारत में एक आउटसोर्स सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट डेव्लपमेंट सेवाओं में विशेषज्ञता वाली कंपनी शुरू कर सकता है, इसी विचार के चलते एचपी में काम करने के दौरान एक स्मार्ट कदम उठाते हुये उन्होने 200 से अधिक सॉफ्टवेयर संबन्धित उद्दमियों को लगभग 200 पत्र लिखे, और उन्हें कुछ जवाबी पत्र भी मिले, जिसके परिणामस्वरूप कंपनी को शुरू करने के बाद उन्हें ग्राहक और विज्ञापन के लिए ज्यादा समय नहीं खर्च करना पड़ा,

1990 में भारत आने के बाद कंपनी पूंजी के लिए उन्होने, HP के टैक्स रिफ़ंड के रूप में मिले अपने 2 लाख रूपये और अपने पिता से लिए 1.6 लाख रुपये लोन का उपयोग किया, फिर उन्होने पुणे में एक 350 वर्ग फुट कार्यालय स्थान को किराए पर लिया और केवल एक कम्प्युटर और छह लोगों की एक टीम के साथ खुद को 30 मई 1990 को Persistent Systems Private Limited के रूप में पंजीकृत करवाया था।

Persistent Systems का मालिक कौन है?

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स का मालिक संस्थापक डॉ. आनंद एस. देशपांडे है, जिनके पास दिसंबर 2023 तक पर्सिस्टेंट सिस्टम्स का 29.73% बहुमत हिस्सेदारी है, शुरुआत से वर्तमान तक संस्थापक आनंद देशपांडे कंपनी का अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भी है, वह बोर्ड पर सबसे लंबे 33 वर्षों से अधिक समय तक सेवा देने वाले निदेशक है, जिन्हें पहली बार 19 अक्तूबर 1990 को नियुक्त किया गया था, कंपनी की स्थापना से पहले आनंद देशपांडे ने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत मई 1989 में कैलिफोर्निया के पालो ऑल्टो शहर में स्थित HP प्रोयोगशाला में की थी, जहां वह लगभग सालभर तक एक तकनीकी स्टाफ के सदस्य के रूप में काम किया था,

आनंद ने आईआईटी खड़गपुर से Computer Science and Engineering में B.Tech और मास्टर डिग्री की है, और यूएसए में स्थित Indiana University Bloomington से Computer Science में PhD की उपाधि प्राप्त की है,

Persistent Systems के सीईओ का सैलरी क्या है?

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के वर्तमान सीईओ संदीप कलरा को जब 23 अक्तूबर 2020 को सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया, इस दौरान उनके पास पर्सिस्टेंट सिस्टम्स का 50,000 शेयर थे, वित्तीय वर्ष 2022 से लगभग 31% की वृद्धि के साथ 2023 में संदीप को वार्षिक मुआवजे के रूप में 61.7 करोड़ रुपये की सैलरी मिली थी, जिसके कारण वह भारतीय आईटी फर्मों में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले दूसरे सीईओ बने थे, पहले नंबर पर विप्रो के सीईओ थिएरी डेलापोर्टे (82.4 करोड़) थे,

वित्त वर्ष 2022 में संदीप को सैलरी के रूप में 46.9 करोड़ रुपये मिले थे, किसी भी सीईओ की सैलरी में आमतौर पर मूल वेतन के अलावा बोनस, स्टॉक विकल्प, कंपनी हिस्सेदारी अनुदान, प्रदर्शन प्रोत्साहन, सेवानिवृति लाभ और यात्रा, आवास या कार खर्चों के लिए भत्ते जैसे अन्य भत्ते को शामिल किया जाता है, 

Persistent Systems का आय-

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स का कुल राजस्व का सबसे ज्यादा हिस्सा (FY23 में 78%) उत्तर अमेरिका से आता है, इसके बाद दूसरा स्थान पर भारत (FY23 में 11.3%) का नंबर आता है, और तीसरे नंबर पर यूरोप (FY23 में 9%) महाद्वीप है, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स का Q3FY24 रिपोर्ट के अनुसार अभी भी वह उत्तर अमेरिका मार्केट से ही सबसे ज्यादा कमा रहा है,

Persistent Systems किस प्रकार का कंपनी है?

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड वर्तमान में एक सार्वजनिक (पब्लिक) कंपनी है, जो भारतीय स्टॉक एक्स्चेंज NSE और BSE पर सूचीबद्ध है, यह कंपनी पहली बार 6 अप्रैल 2010 को भारतीय स्टॉक एक्स्चेंज में सूचीबद्ध हुआ था, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स की शुरुआत 1990 में एक निजी कंपनी के रूप में हुई थी, फिर 17 सितंबर 2007 में पर्सिस्टेंट सिस्टम्स को सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित कर दिया गया था,

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स NSE पर PERSISTENT और BSE पर 533179 के स्टॉक प्रतीक के तहत भारतीय स्टॉक एक्स्चेंज में कारोबार करता है, 

Persistent Systems का हिस्सेदारी पैटर्न-

दिसंबर 2024 के अनुसार पर्सिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड का सबसे ज्यादा हिस्सेदारी प्रमॉटर समूह के पास है, प्रमॉटरों के पास कंपनी का कुल 30.66% हिस्सा है,

दिसंबर 2024 तक प्रमॉटर समूह के 11 सदस्यों के शेयर प्रतिशत हिस्सेदारी नीचे दिये गए है ,

भारत में Persistent Systems की रैंक क्या है?

11 अप्रैल 2024 तक पर्सिस्टेंट सिस्टम्स 60,975 करोड़ की पूंजी के साथ बाजार पूंजीकरण के मामले में भारत की आठवीं सबसे बड़ी आईटी कंपनी है, 2023 के रिपोर्ट के अनुसार राजस्व अर्जित करने के मामले में पर्सिस्टेंट सिस्टम्स 8वीं भारतीय सबसे बड़ी आईटी कंपनी बनी और मुनाफे हासिल करने के मामले में TCS, Infosys, HCLTech, Wipro, Tech Mahindra, OFSS, LTTS, Mphasis और LTIMindtree के बाद 10वां स्थान पर रैंक किया है,

Persistent Systems का पुराना नाम क्या था?

वर्तमान में यह कंपनी Persistent Systems Limited है, 17 सितंबर 2007 से पहले यह एक निजी (प्राइवेट) कंपनी थी, उस दौरान कंपनी को Persistent Systems Private Limited के नाम से जाना जाता था,

Persistent Systems के कर्मचारी रिकॉर्ड-

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या इस प्रकार है, FY24 में कंपनी का कुल 23,000 से ज्यादा कर्मचारी है-

Persistent Systems क्या बनाता है? क्या काम करता है?

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स विभिन्न उद्दोगों के व्यवसायों के लिए सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट और प्लेटफॉर्म बनाता है, यह कंपनी व्यवसायों की विशिष्ट आवश्यकताओं और चुनौतियों का समाधान करने के लिए सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट बनाने और उन्हें प्रबंधित करने में मदद करता है।

Persistent Systems के सेवाएँ-

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के सेवाओं में से प्रमुख कुछ इस प्रकार है-

  • एप्लिकेशन विकास और प्रबंधन (Application Development & Management)
  • क्लाउड और बुनियादी ढांचा (Cloud & Infrastructure)
  • परामर्श (Consulting)
  • डेटा और विश्लेषण (Data & Analytics)
  • ग्राहक अनुभव परिवर्तन (Customer Experience Transformation)
  • एंटरप्राइज़ एकीकरण (Enterprise Integration)
  • एंटरप्राइज़ आईटी सुरक्षा (Enterprise IT Security)
  • इंटेलिजेंट स्वचालन (Intelligent Automation)
  • आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस (Presistent.AI)
  • सॉफ्टवेयर उत्पाद इंजीनियरिंग (Software Product Engineering)

Persistent सिस्टम के सेवा क्षेत्र-

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स निम्नलिखित प्रकार के क्षेत्रों में अपनी सेवाएँ प्रदान करता है-

  • बैंकिंग और वित्तीय सेवा 
  • बीमा
  • जीव विज्ञान
  • स्वास्थ्य देखभाल
  • सॉफ्टवेयर और उच्च तकनीक
  • उपभोक्ता प्रौद्दोगिकी
  • प्रॉडक्ट डिज़ाइन, इंजीनियरिंग, विनिर्माण
  • टेलीकॉम और मीडिया  
  • खुदरा

Persistent Systems द्वारा की गई अधिग्रहण-

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा या उसके सहायक कंपनी के माध्यम से अधिग्रहण की गयी कंपनियों में से कुछ इस प्रकार है-

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स की सहायक कंपनियाँ-

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स का भारतीय स्थित सहायक कंपनियाँ इस प्रकार है-

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स का भारत से बाहर स्थित कुछ सहायक कंपनियाँ नीचे दिया गया है–

नीचे दिये गए सहायक कंपनियों में से कुछ सीधे पर्सिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड के स्वामित्व में है, और कुछ उनकी सहायक कंपनियों के साथ अपने सम्बन्धों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से स्वामित्व में है, जो स्वयं पर्सिस्टेंट सिस्टम लिमिटेड के स्वामित्व में है-

Persistent Systems का इतिहास-

1990-2000 प्रारम्भिक वर्ष-

पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के संस्थापक आनंद देशपांडे, अमेरिका के इंडियाना यूनिवर्सिटी, ब्लूमिंगटोन में कम्प्युटर साइन्स में स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने के कुछ ही समय बाद, अपने अध्ययन वीजा के दौरान 1989 में कैलिफोर्निया के पालो ऑल्टो शहर में हेवलेट-पैकर्ड प्रयोगशालाओं (HP Laboratories) में तकनीकी स्टाफ के सदस्य के रूप में सालभर काम किया, अमेरिका की अध्ययन वीजा की समाप्ति से सालभर पहले अपने कार्यकाल के दौरान आनंद ने वहाँ पर आईटी उद्दोग में कुछ दोस्त बनाए, इसी दौरान उन्हें एहसास हुआ कि वह भी घर पर आउटसोर्स सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट डेव्लपमेंट (OPD) सेवाओं में विशेषज्ञता वाली कंपनी शुरू कर सकता है, इसी विचार के कारण वह एक स्मार्ट कदम उठाते हुये भारत आने से पहले ही संभावित ग्राहकों से संपर्क करना शुरू कर दिया था, इसी तरह उन्होने 200 से अधिक सॉफ्टवेयर कंपनियों को लगभग 200 पत्र लिखे, जिसमें वह अपने व्यवसाय और सेवाओं के बारे में जानकारी देते थे, कई कंपनियों ने तो दिलचस्पी दिखाकर जवाब भी लिखा था, इसी कारण कंपनी का लॉंच होने के बाद ग्राहकों की तलाश में समय बर्बाद करने के बजाय उन्हे एक अच्छी शुरुआत करने में मदद मिली,  

1990 में भारत लौटकर वह अपने व्यावसायिक विचार को साकार करने में लग गया, कंपनी की प्रारम्भिक पूंजी के लिए उन्होने HP के टैक्स रिफ़ंड के रूप में प्राप्त 2 लाख रुपये का उपयोग किया, जो एचपी में काम करने के दौरान उनके वेतन से काटी गई राशि थी, और उन्होने अपने पिता (सुरेश पुरुषोत्तम देशपांडे) से 1.6 लाख रुपये का लोन भी लिया, जिसके कारण उसके पिताजी भी उनकी कंपनी में सह-संस्थापक के रूप में शामिल हुआ, फिर उन्होने अपनी पूंजी से पुणे में 350 वर्ग फुट का कार्यालय स्थान को किराये पर लिया, छह लोगों की टीम और केवल एक कम्प्युटर के साथ 30 मई 1990 में खुद को PERSISTENT SYSTEMS PRIVATE LIMITED के रूप में पंजीकृत करवाया, हालांकि इसी कागजी कारवाई को पूरी करने में कंपनी को महीनों का वक्त लग गया था,  

पंजीकृत होने के लगभग 4 महीने बाद अक्तूबर महीने में पर्सिस्टेंट सिस्टम्स व्यापार के लिए खुल गया था, कंपनी का पहला ग्राहक अमेरिका स्थित आईटी सेवा और व्यावसायिक समाधान कंपनी O2 Technologies Inc था, जिससे पर्सिस्टेंट को 7.5 लाख रुपये के सौदे से कंपनी के लिए सवाल प्रक्रिया (query process) बनाने का प्रोजेक्ट मिला था,

फिर हालत ऐसे हुई कि जनवरी 1991 आते ही कंपनी के सारे संसाधन खत्म हो गया था, और कंपनी के कार्यों को जारी रखने के लिए पूंजी और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए राशि भी खत्म हो गया था, जिसके कारण कंपनी को 6 लाख रुपये का बैंक लोन लेना पड़ा था, क्योंकि इस दौरान कंपनी कोई आय/राजस्व उत्पन्न नहीं कर रहे थे, कारण O2 Technologies परियोजना के लिए बिलिंग कई महीनों बाद अप्रैल 1991 में हुई थी, इसलिए 1990 में कंपनी कारोबार शून्य था, इसके अलावा कंपनी को शुरुआती समस्याओं का भी सामना करना पड़ा था,

प्रारम्भिक वर्ष 1990 के दौरान कंपनी को व्यवसाय के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, कंपनी को यूएसए के ग्राहकों के साथ संचार करने के लिए एक फोन कनैक्शन प्राप्त करने में छह महीने लग गए थे, और तेजी से अपलोड करने के लिए फाइलों को छोटे-छोटे भागों में तोड़ना पड़ता था, क्योंकि खराब नेटवर्क कनैक्टिविटी के कारण फाइलों को अपलोड और डाउनलोड करने में घंटों लगता था,     

शुरुआती समय से ही कंपनी पुणे में महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्थापित साइन्स एंड टेक्नोलोजी पार्क (STP) में जगह सुरक्षित करने के लिए इच्छुक थे, क्योंकि उस दौरान STP से परिचालन करने वाली कंपनियों को आयातित हार्डवेयर पर लगाए गए शुल्क पर 300% छुट दिया जा रहा था, लेकिन 1990 के दौरान STP में सभी उपलब्ध स्थान पहले ही आवंटित किए जा चुके थे,

इंतजार करते फिर मार्च 1991 में कंपनी ने दूरसंचार विभाग के सचिव को पत्र लिखा, उसके एक दिन बाद STP के निदेशक को पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के लिए एक जगह आवंटित करने के लिए कहा गया, इस तरह कंपनी महाराष्ट्र में पुणे जिले के भोसारी शहर में साइन्स एंड टेक्नोलोजी पार्क में अपना कार्यालय स्थापित किया, और उसी वर्ष माइक्रोसॉफ़्ट ने अपने एक प्रोजेक्ट के लिए Persistent Systems को चुना,

वर्ष 1992 में लघु उद्दोग की श्रेणी में निर्यात प्रदर्शन के लिए महाराष्ट्र सरकार ने Persistent Systems को प्रथम पुरस्कार दिया, और मार्च 1992 तक कंपनी ने 13 लाख का राजस्व हासिल कर लिया था,

1996 के बाद कंपनी ने अपने व्यवसाय को विस्तार करते हुये टेक्नोलोजी सेवाएँ और सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट डेव्लपमेंट जैसे क्षेत्रों में प्रवेश किया, 1999 में Persistent Systems को माइक्रोसॉफ़्ट प्रॉडक्टों पर आधारित व्यावसायिक समाधान प्रदान करने के लिए प्रदर्शित विशेषज्ञता और प्रतिबध्दता के लिए माइक्रोसॉफ़्ट समाधान प्रदाता के रूप में मान्यता प्राप्त हुआ, और इसी वर्ष कंपनी ने अपने पंजीकृत कार्यालय Renuka’, 39/54, Erandvana, Lane 9B, Prabhat Road, Pune 411004 को पुणे में ही पाणिनि के नए स्वामित्व वाले परिसर Panini’, 2A, Senapati Bapat Road, Pune 411016 में स्थानांतरित कर दिया,

वर्ष 2000 में Persistent Systems ने कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना शुरू किया, जिससे कंपनी के कर्मचारियों को बाजार मूल्य से कम पर Persistent Systems के स्टॉक के शेयर खरीदने की अनुमति मिली,   23 मई 2000 को Intel और HP ने Intel 64 Fund के माध्यम से Persistent Systems Pvt Ltd में 1 मिलियन डॉलर का निवेश किया, इसमें Intel ने 10.3 करोड़ में 4% और HP ने 0.8 करोड़ में 1% में कंपनी का हिस्सेदारी लिया था, जिससे पर्सिस्टेंट, Intel 64 Fund से निवेश प्राप्त करने वाली पहली एशियाई कंपनी बनी, Intel 64 Fund एक इक्विटि निवेश फ़ंड था, जो इंटरनेट, उद्यमों और वर्कस्टेशन समाधानों के लिए एप्लिकेशन, टूल और तकनीक विकसित करने वाली कंपनियों में निवेश करता था,

2001-2010

फिर 19 अक्तूबर 2001 को कंपनी ने कुछ प्रशासनिक कारणों से फिर से अपने पंजीकृत कार्यालय स्थान को स्थानांतरित करते हुये Bhageerath’, 402, Senapati Bapat Road, Pune 411016 में बदल दिया, और इसी वर्ष ही कंपनी ने संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी Persistent Systems, Inc, की स्थापना की,

वर्ष 2003 में कंपनी को माइक्रोसॉफ़्ट डेव्लपमेंट नेटवर्क कम्यूनिटी में उत्कृष्ट योगदान के लिए माइक्रोसॉफ़्ट से पुरस्कार प्राप्त हुआ,  

2004 में कंपनी ने स्कॉटलैंड के राजधानी एडिनबर्ग में अपनी एक शाखा कार्यालय स्थापित किया, और महाराष्ट्र के नागपुर में एक विकास केंद्र भी चालू कर दिया, इसी वर्ष कंपनी को Deloitte की Technology Fast 500 Asia Pacific 2004 विजेता रिपोर्ट में 11वीं सबसे तेजी से बढ़ती भारतीय कंपनी का दर्जा दिया गया,

2005 में Persistent System, माइक्रोसॉफ़्ट के रेडियो फ्रिक्वेन्सी आइडेंटिफिकेशन (RFID) पार्टनर्स काउंसिल में शामिल हो गया, और कंपनी ने टोक्यो, जापान में एक शाखा कार्यालय स्थापित किया,   

16 नवंबर 2005 को Persistent Systems ने कैलिफोर्निया स्थित ControlNet Inc. की 100% सहायक कंपनी ControlNet (India) Pvt Ltd को लगभग 9 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया, इस अधिग्रहण से कंपनी को एम्बेडेड सिस्टम्स और एप्लिकेशन स्पेसिफिक इंटीग्रेटेड सर्किट (ASIC) डिज़ाइन के उच्च विकास क्षेत्र में उद्दम करने का एक उत्कृष्ट अवसर मिला,

PSL के पुराने निवेशक Intel 64 Fund का परिसमापन होने के बाद HP कंपनी में आगे निवेश नही किया, जबकि Intel ने Intel Mauritius के माध्यम से नवंबर 2005 में फिर से कंपनी में निवेश किया, इसी महीने में ही अन्य दो और निवेशक नॉर्वेस्ट वैंचर पार्टनर्स और गेब्रियल वैंचर पार्टनर्स ने कंपनी में अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय वरीयता शेयर (CCPS) के माध्यम से कंपनी में निवेश किया, इसमें नॉर्वेस्ट ने 15% हिस्से के लिए 63.06 करोड़ और गेब्रियल ने 5% हिस्से के लिए 22.7 करोड़ रुपये का भुगतान किया,

अक्तूबर 2006 को Google ने पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के साथ एक संयुक्त वेबिनर की मेजबानी की घोषणा की, जहां वे अपने Suite of Enterprise Content Connectors के माध्यम से Google Search Appliance की पहुँच बढ़ाने के तरीकों का प्रदर्शन किया, कंपनी को गूगल इंक के लिए सर्च एप्लायन्स पार्टनर इसलिए चुना गया था क्योकि पिछले साल 2005 में कंपनी ने Google Enterprise Professional के पार्टनर के रूप में गूगल सर्च एप्लायन्स को एंटरप्राइज़ सामग्री रिपॉजिटरी में गहराई तक विस्तारित करके गूगल के ग्राहकों को मूल्य प्रदान करने में बिताया था,

9 जुलाई 2007 को कंपनी ने Metrikus (India) Pvt Ltd के साथ संयुक्त रूप से परिसंपत्ति खरीद और बिक्री के लिए राजस्व साझाकरण समझौता पर हस्ताक्षर किया, इस अधिग्रहण से कंपनी ने हैदराबाद के आईटी हब में अपनी एक शाखा कार्यालय को स्थापित किया,

17 सितंबर 2007 को Persistent System का एक असाधारण आम बैठक (EGM) आयोजित किया गया था, जिसमें कंपनी को प्राइवेट लिमिटेड से पब्लिक लिमिटेड में परिवर्तन के लिए एक विशेष प्रस्ताव को पारित कर दिया गया, फिर अगले दिन 28 सितंबर 2007 को रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC) द्वारा रूपान्तरण के परिणामस्वरूप निगमन का नया प्रमाण पत्र कंपनी को जारी किया गया,

2007-08 के दौरान कंपनी ने अपने परिचालन का विस्तार करते हुये रॉटरडैम, नीदरलैंड्स में और कनाडा के ओटावा और वैंकूवर में शाखा कार्यालयों को स्थापित किया, और सिंगापुर में एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी Persistent Systems Pte Ltd का गठन किया, और इसी सीजन कंपनी के पुणे, नागपुर और गोवा के परिचालन को ISO27001:2005 सर्टिफिकेट मिला,

वर्ष 2008 में पर्सिस्टेंट सिस्टम्स ने क्यूबेक, कनाडा में एक शाखा कार्यालय खोला और पुणे में एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी Persistent Systems and Solutions Ltd का गठन किया, 

29 अक्तूबर 2008 को पर्सिस्टेंट सिस्टम्स ने कंपनी की कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी पहल को संस्थागत बनाने और दान देने की प्रक्रिया को प्रशासित करने के लिए Persistent Foundation नामक एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट का गठन किया, हालांकि कंपनी वित्तीय वर्ष 1995-96 से ही स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों को दान दे रहा था, फिर 5 महीने बाद 21 मार्च 2009 को इस फ़ाउंडेशन को डिप्टी चैरिटी कमिश्नर पुणे कार्यालय के साथ पंजीकृत करवाया,

अप्रैल 2009 को कंपनी ने एक रिसर्च एंड डेव्लपमेंट सेंटर Persistent Indiana Research Center बनाने के लिए यूएसए आधारित Indiana University के साथ साझेदारी की, 

10 नवंबर 2009 में कंपनी ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी Persistent Systems Inc. के माध्यम से MeadWestvaco Corporation की सहायक कंपनी Paxonix, Inc. जो कंपनी वेब-आधारित ब्रांडिंग और पैकेजिंग प्रक्रिया समाधान प्रदान करता है, को अधिग्रहण कर लिया,

2009-10 के दौरान कंपनी को ChemLMS प्रॉडक्ट के लिए सॉफ्टवेयर डिज़ाइन, विकास, परीक्षण, समर्थन, वृद्धि सेवाओं के लिए DIN EN ISO 9001:2001 सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ,

2011-

7 अप्रैल 2011 को कंपनी ने कनेक्टिविटी और प्रबंधित सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कान्सास, अमेरिका स्थित दूरसंचार कंपनी Sprint Nextel Corporation के साथ संयुक्त उद्दम में प्रवेश किया, इस संयुक्त उद्दम समझौते में Sprint International Holdings, Inc. का 74% बहुमत हिस्सेदारी और Persistent Systems के पास 26% हिस्सेदारी होगी,

13 दिसंबर 2011 को कंपनी ने IL&FS Education के Exploriments लर्निंग प्लेटफॉर्म पर मोबाइल आधारित लर्निंग एप्लिकेशनों की एक शृंखला विकसित करने के लिए IL&FS Education and Technology Services Ltd के साथ साझेदारी की।

19 जनवरी 2012 को कंपनी ने वैश्विक आइपैड यूजर्स के लिए IL&FS Education के Exploriments लर्निंग प्लेटफॉर्म के लिए अपने 12 मोबाइल विज्ञान शिक्षण एप्लिकेशन लॉंच किया,

Persistent Systems का कार्यालय और विकास केंद्र

वर्तमान में कंपनी का कार्यालय भारत के अलावा एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर और मध्य अमेरिका और यूरोप महाद्वीप में स्थित है, कुल 60 कार्यालयों से कंपनी भारत और दुनियाभर में अपना व्यवसाय का परिचालन कर रहा है, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड का परिचालन निम्नलिखित स्थानों पर है –

भारत– पुणे, बेंगलुरु, हैदराबाद, नागपुर, मुंबई, गुरुग्राम, नोएडा, इंदौर, जयपुर, अहमदाबाद, कोलकाता

एशिया-

1. जापान-टोक्यो, 2. सिंगापुर, 3. मलेशिया-सेलांगोर, 4. श्रीलंका-कोलंबो, 5. ऑस्ट्रेलिया– सिडनी, मेलबोर्न

उत्तर और मध्य अमरीका-

1. यूएसए– सांता क्लारा, न्यू जर्सी, प्रिंसटोन, चार्लोट, डलास, मॉरिसविले, बेलेव्यू, जार्जिया, ओहायो, 2. कनाडा– ओट्टावा, वैनक्यूवर, ओटांरीओ, क्यूबेक, 3. मेक्सिको– जलिस्को, 4. कोस्टा रिका

यूरोप

1. यूके– लंदन, सरे, 2. फ़्रांस– पेरिस, लियोन, नंटेस, मैकॉन, फॉन्टेन, 2. जर्मनी– फ़्रंकफ़र्ट, हैमबर्ग, म्यूनिख, 3. स्विट्ज़रलैंड– ज्यूरीख, लॉजेन 4. नीदरलैंड्स– एम्स्टर्डैम, 5. आयरलैंड– डब्लीन, 6. साउथ अफ्रीका– जोहांसबर्ग, 7. इटली-मिलान 8. रोमानिया– बुखारेस्ट, 9. पोलैंड– क्राको